यह वार्षिक नौका दौड़, प्रतिष्ठित समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता श्री नारायण गुरु के सम्मान में, कोट्टयम जिले के कुमरकम में उनकी यात्रा की याद में आयोजित की जाती है।
1903 में, श्री नारायण गुरु को एक विशेष समारोह के लिए भव्य शोभायात्रा के साथ नाव द्वारा आलप्पुष़ा से कुमरकम ले जाया गया था। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने श्री कुमारमंगलम मंदिर में भगवान सुब्रह्मण्यन की एक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। गुरु के इस भव्य आगमन की याद में, 1952 में कुमरकम श्री नारायण गुरु जयंती नाव दौड़ की स्थापना की गई थी। यह वार्षिक प्रतियोगिता कोट्टत्तोडु में 900 मीटर के ट्रैक पर होती है।
दौड़ की शुरुआत एक भव्य जल शोभायात्रा से होती है जिसमें भगवान सुब्रह्मण्यन की मूर्ति और श्री नारायण गुरु का चित्र लेकर खूबसूरती से सजी हुई नावें शामिल होती हैं। अन्य आयोजनों के विपरीत, इस दौड़ में चुण्डन वल्लम (स्नेक बोट) के बजाय इरुट्टुकुत्ती (छोटी स्नेक बोट) प्रमुखता से शामिल होती हैं। प्रमुख स्नेक बोट और इरुट्टुकुत्ती पर 1,000 से अधिक नाविकों के प्रतिस्पर्धा करने के साथ, इस आयोजन में उत्साही भागीदारी और कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है।