ताष़त्तंगाडि बोट रेस

स्नेक बोट रेस केरल की सांस्कृतिक विरासत में गहराई से निहित है। संगठित स्नेक बोट रेस का आधुनिक स्वरूप 1887 में कोट्टयम जिले के ताष़त्तंगाडि में शुरू हुआ, जिसकी स्थापना त्रावणकोर (तिरुवितांकूर) राज्य के दीवान पेशकार (प्रधान मंत्री) राम राव ने की थी।

त्रावणकोर शासन से पहले, तेक्कुमकूर राजाओं ने कोट्टयम पर शासन किया और शाही मनोरंजन के लिए ताष़त्तंगाडि में नाव दौड़ आयोजित की। ताष़त्तंगाडि उनकी राजधानी और एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र था। दीवान राम राव ने बाद में कोट्टयम शहर का विकास किया और राजधानी को वहां स्थानांतरित कर दिया।

स्नेक बोट और विभिन्न कलिवल्लम (खेल नौकाओं) के प्रति जुनूनी दीवान राम राव ने ताष़त्तंगाडि बोट रेस की संरचना की, जिसमें नावों के वर्ग के अनुसार दौड़ को वर्गीकृत किया गया। इसने केरल की पहली व्यवस्थित सार्वजनिक स्नेक बोट रेस की शुरुआत की। स्थानीय गर्व और उत्साह ने जल्द ही इसे एक वार्षिक परंपरा में बदल दिया।

1937 में, त्रावणकोर के अंतिम महाराजा श्री चित्तिरा तिरुनाल राम वर्मा ने इस दौड़ में भाग लिया, जिसके कारण इसका नाम बदलकर श्री चित्तिरा बोट रेस कर दिया गया। बाद में 1956 में जब इथियोपिया के सम्राट हैली सेलासी ने कोट्टयम का दौरा किया, तो उनके सम्मान में ताष़त्तंगाडि में एक स्नेक बोट रेस आयोजित की गई थी, जिसके बाद इस आयोजन का नाम बदलकर हैली सेलासी एवर-रोलिंग ट्रॉफी कर दिया गया।

यह नौका दौड़ कई वर्षों तक निष्क्रिय रही, जब तक कि कोट्टयम के वेस्ट क्लब ने 1998 में इसे पुनर्जीवित नहीं कर दिया। तब से, कोट्टयम सिटी कॉरपोरेशन द्वारा प्रतिवर्ष ताष़त्तंगाडि नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रमुख क्लब और स्नेक बोट गोल्डन जुबली एवर-रोलिंग ट्रॉफी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

सीबीएल नौका दौड़

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