पायिप्पाड बोट रेस

पायिप्पाड बोट रेस एक शानदार तीन दिवसीय उत्सव है जो धर्म, संस्कृति और खेलकूद का एक बेहतरीन मिश्रण है। आलप्पुष़ा जिले के पायिप्पाड में अच्चनकोविल नदी पर आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम त्रावणकोर (तिरुवितांकूर) देवस्वम बोर्ड द्वारा आयोजित किया जाता है।

केरल के कई जल उत्सवों की तरह, पायिप्पाड बोट रेस भी धार्मिक परंपरा में निहित है। स्थानीय किंवदंती के अनुसार, हरिप्पाड़ में कीष़तृक्कोविल मुरुगा मंदिर के पुजारी ने कायमकुलम झील में एक भँवर के नीचे भगवान सुब्रह्मण्यन की मूर्ति छिपी होने का सपना देखा था। उनका सपना सच निकला और बरामद मूर्ति को बाद में हरिप्पाड़ मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया।

जब मूर्ति को हरिप्पाड़ ले जाया जा रहा था, तो पायिप्पाड में उसका गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जहाँ यह हरिप्पाड़ मंदिर के जीर्णोद्धार के पूरा होने तक अरनाष़िका नेल्पुराकडव में रही। जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद, मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर दिया गया। इस ऐतिहासिक घटना की याद में पायिप्पाड नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है।

यह आयोजन तिरुवोणम में शुरू होता है, जिसमें प्रतिस्पर्धी चुण्डन वल्लम (स्नेक बोट) अरनाष़िका नेल्पुराकडव में एकत्रित होते हैं और पारंपरिक वन्चिपाट्टु (नाव गीत) गाते हुए हरिप्पाड़ मंदिर की ओर बढ़ते हैं। आधिकारिक तौर पर दौड़ दोपहर में शुरू होती है। दूसरे दिन, अविट्टम पर, जीवंत जल शोभायात्रा निकलते हैं, जो उत्सव की भावना को बढ़ाते हैं। तीसरे दिन, चतयम पर रोमांचक अंतिम दौड़ आयोजित की जाती है, जो आयोजन के भव्य समापन को चिह्नित करती है।

यह प्रतियोगिता केवल स्नेक बोट तक ही सीमित नहीं है; इसमें इरुट्टुकुत्ती, वेप्पु और चुरुलन जैसी अन्य पारंपरिक नौकाओं की दौड़ भी शामिल है, जो इस आयोजन को केरल की समृद्ध नौका दौड़ विरासत का वास्तविक उत्सव बनाती है।

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