तीयाट्टु एक एकल नृत्य-नाटक है जो कलम या धूलि चित्रम (रंगीन चूर्णों की मदद से बनने वाले चित्र) के सामने प्रदर्शित किया जाता है। यह प्रदर्शन तिरुवल्ला, कोट्टयम, तृप्पूणित्तुरा और आस-पास के इलाकों के कुछ भगवती मंदिरों में किया जाता है। अनुष्ठान का प्रारंभ भगवान गणपति, भगवान शिव और देवी सरस्वती के आह्वान के साथ होता है जिसके बाद नर्तक मुडियेट्टु में प्रयुक्त शिरोभूषण के सदृश मगर उससे छोटे शिरोभूषण धारण करते हैं।
तीयाट्टु प्रदर्शन के जरिए दर्शाई जाने वाली सबसे लोकप्रिय कथा देवी काली और दारिकासुर के बीच द्वंद्व युद्ध के बारे में होती है। नृत्य रूप का प्रदर्शन उण्णी जैसे मंदिर से जुड़े समुदायों द्वारा किया जाता है। तीयाट्टु एक अनुष्ठान प्रस्तुति ही है जिसका आयोजन हर शुक्रवार को कोट्टयम शहर के पल्लिप्पुरत्तु कावु मंदिर में होता है।