कुरविलन्गाड में दुनिया का सबसे बड़ा चर्च लैम्प और चेट्टिकुलंगरा देवी मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा टेम्पल लैम्प, आलप्पुष़ा में एक छोटे से शहर की उत्पत्ति का निशान दर्शाते हैं। एक ओर जहां केरल के बाकी के हिस्से अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं, वहीं मान्नार की प्रसिद्धि पीतल, कांस्य और चांदी के अपनी खूबसूरत रचनाओं के लिए है। डिस्प्ले में दिखाई जा रही कारीगरी शानदार है और इसकी मांग दुनिया भर में है।
मान्नार एक हलचल भरा औद्योगिक शहर है। यहां के लोहार की दूकाने पीतल, कांसा, चांदी और अन्य धातुओं से बने अपने बरतनों, लैम्पों, बेल इत्यादि के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां काम करते हुए कारीगरों को आमने-सामने देखा जा सकता है। शिमला के मंदिरों से नई दिल्ली के मुख्य गिरिजाघर तक, मान्नार की शिल्पकृतियां ही उनकी शोभा बढ़ाती हैं।
मान्नार में अनेक विशिष्ट धार्मिक स्थल भी हैं। परुमला चर्च त्योहार में भारी भीड़ जमा होती है। पनयननार कावु मंदिर में वार्षिक विष्णु उत्सव यहां का दूसरा रंग-बिरंगा समारोह है। यह अपने सरपा कावु (सर्प देवता के लिए पवित्र उपवन) और भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। त्रिक्कुरट्टी महादेव मंदिर में सभी मतों के लोग आते हैं और वे इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर लंबे समय तक आराधना करते हैं। यह इस स्थान पर प्रचलित भाईचारे का एक शानदार नमूना है।
निकट का रेलवे स्टेशन: चेंगन्नूर, मावेलिक्करा - कोषन्चेरी हाइवे से होकर, लगभग 10 किमी।
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 122 कि.मी. और त्रिवेंद्रम (तिरुवनंतपुरम) इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 124 कि.मी. |
अक्षांश: 9.318651, देशांतर: 76.534095
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