यह अनोखा युद्धकला नृत्य दक्षिणी केरल के कुछ मंदिरों में पुरुषों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। मध्ययुगीन नायर सैनिकों जैसा पारंपरिक परिधान और रंगबिरंगा सिरोभूषण धारण किए हुए नर्तक बेहद तेज गति वाले और शारीरिक फुर्ती वाली तलवारबाजी का प्रदर्शन करते हैं और साथ में होती है मद्दलम, इलत्तालम, कोंबु और कुषल जैसे वाद्ययंत्रों की धुन। वेलकली का उद्भव अम्बलप्पुष़ा में हुआ था जहां चेंपकशेरी की सेना के सेनापति मात्तूर पणिक्कर ने लोगों में युद्ध भावना जगाने के लिए लिए इसका प्रचलित किया था। यह नृत्य कला रूप आलप्पुष़ाजिले के अम्बलप्पुष़ा श्री कृष्ण मंदिर के नियमित वार्षिक आयोजन में शामिल है।