वर्ष 1973 में स्थापित मुत्तंगा वन्यजीव अभयारण्य उत्तर-पूर्व में कर्नाटक के नागरहोले और बंडीपुर तथा दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडु के मुदुमलाई के संरक्षित वन्य जीव क्षेत्रों से घिरा है। जैव-विविधताओं से भरपूर यह वन्य-जीव अभयारण्य नीलगिरि बायोस्फेयर रिजर्व का एक अभिन्न हिस्सा है। यहां का प्रबंधन इस वन्य क्षेत्र में तथा इसके आस-पास निवास करने वाली जनजातियों तथा अन्य लोगों की सामान्य जीवन-शैली में फेर-बदल किए बगैर वैज्ञानिक संरक्षण पर जोर डालता है। इस अभयारण्य में पैकिडर्मों (मोटी खाल के साथ बहुत बड़े स्तनपायी) की बड़ी तादाद पाई जाती है, और इसलिए इसे हाथी परियोजना वाले स्थन के रूप में घोषित किया गया है।
यहां आपको स्वच्छंद रूप से विचरण करते हाथियों के झुंड दिखाई पड़ जाएंगे और कभी-कभी तो आपको बाघों का भी दीदार हो सकता है। इस क्षेत्र में हिरण, बंदर और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस आरक्षित वन्य क्षेत्र में कई प्रकार की चिड़ियां, तितलियां तथा कीट भी दिखाई पड़ते हैं। यहां पाए जाने वाले वृक्ष तथा वनस्पतियां खास तौर से दक्षिण भारतीय आर्द्र पर्णपाती तथा अर्ध-सदाबहार वनों वाले हैं। मुत्तंगा से सड़क मार्ग से ड्राइव करने के दौरान आपको कई सारे जीव-जंतु विचरण करते दिखाई पड़ जाते हैं। वन विभाग द्वारा यहां हाथियों की सवारी भी करवाई जाती है।
वाइल्डलाइफ वार्डन
मुत्तंगा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी
सुल्तान बत्तेरी
फोन: +91 4936 271010
नजदीकी रेलवे स्टेशन: कोष़िक्कोड, सुल्तान बत्तेरी से सड़क द्वारा लगभग 97 किमी दूरी पर हैं |
नजदीकी एयरपोर्ट: कालिकट (कोष़िक्कोड) इंटरनेशनल एयरपोर्ट, कोष़िक्कोड, सुल्तान बत्तेरी से लगभग 120 किमी दूरी पर हैं |
अक्षांश: 11.673755, देशांतर: 76.36817
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