स्थल: आराट्टुपुष़ा श्री शास्ता मंदिर
स्थान: आराट्टुपुष़ा
जिला: तृश्शूर
केरल के सभी पूरमों (मंदिर का उत्सव) में सबसे पुराना आराट्टुपुष़ा पूरम तृश्शूर के श्री शास्ता मंदिर में हर साल सात दिन के लिए आयोजित होता है। मानने वाले मानते हैं कि इस 'पवित्र सभा' पर सभी देवी-देवताएं पूरम के दौरान में एकत्र होते हैं। तृश्शूर के विभिन्न मंदिरों के कम से कम 23 देवी-देवताएं यहां लाकर और पूजित होते हैं जो अपने आपमें एक अद्भुत नजारा होता है।
‘सभी पूरमों की जननि’ के रूप में ज्ञात यह त्योहार केरल के सबसे शानदार त्योहारों में है क्योंकि इसमें राज्य की अनेक परंपराओं को दर्शाया जाता है। अपने महावतों के साथ विशाल हाथियों के झुंड सड़क पर गुजरते दिखते हैं जबकि चेण्डा (ढोल) और कुषल (विंड इंस्ट्रूमेंट) भीड़ के आगे-आगे बजाकर चला जाता है। झुंड के झुंड लोग यहां आते हैं और और लोक कलाओं का प्रदर्शन होता है। इस त्योहार के दौरान बनाया गया पन्तल भव्य तरीके से सजाया जाता है और दिखने में बड़ा आकर्षक होता है।
समापन समारोह जिसमें नदी में प्रतिमा का विसर्जन होता है बहुत भी प्रवित्र अवसर होता है जिसमें अभी-अभी समाप्त हुए इस समारोह की भव्यता का आभास होता है।
यहां पहुंचने के लिए
नजदीकी रेलवे स्टेशन: तृश्शूर, लगभग 14 कि.मी. |
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 44 कि.मी. |