कोच्चि शहर के पास स्थित फोर्ट कोच्चि को केरल के सांस्कृतिक सम्मिलन बिंदु के रूप में माना जा सकता है। यह छोटा सा भौगोलिक स्थल अपनी सांस्कृतिक रंगत के कारण संसार में विशिष्ट स्थान रखता है। चाहे भारत के दूसरे हिस्से के लोग हों या फिर मध्य-पूर्व और यूरोप जैसे सुदूर देशों के लोग, फोर्ट कोच्चि ने अतीत के विभिन्न कालखंडों में उनका यहां आकर बसने और यहां के स्थानीय लोगों के सथ घुलमिलकर रहने के लिए स्वागत किया।
फोर्ट कोच्चि आने वाले लोगों को अनेक संस्कृतियों से परिचित होना पड़ा। व्यापारियों, शरणार्थियों, शासकों और धार्मिक प्रचारकों के रूप में उन सबने यहां अपनी छाप छोड़े। हम जो स्पष्ट करने जा रहे हैं वह है फोर्ट कोच्चि में मट्टान्चेरी का एक ऐसा स्मारक जो शरण पाने के उद्देश्य से कोच्चि आए समुदाय के सांस्कृतिक तत्त्वों और धार्मिक मान्यताओं से निर्मित हुआ था। डायस्पोरा के दौरान अपने वतन इजरायल से विस्थापित होकर यहां आकर बसे यहूदियों ने फोर्ट कोच्चि को अपने दूसरे घर के रूप में अपनाया।
मट्टान्चेरी बस स्टैंड या निकट की बोट जेटी से थोड़ी देर पैदल चलकर आप फोर्ट कोच्चि में मट्टान्चेरी के ज्यू टाउन एनक्लेव स्थित ज्यू स्ट्रीट के एक सिरे पर बसा यहूदी सिनैगॉग पहुंच जाते हैं। यह सिनैगॉग 1568 ई. में मलबार यहूदियों या कोच्चिन यहूदी समुदाय द्वारा बनवाया गया था। इसका निर्माण मट्टान्चेरी पैलेस मंदिर के निकट कोच्चि के पूर्व शासक राजा राम वर्मा द्वारा प्रदत्त भूमि पर कराया गया था। मट्टान्चेरी पैलेस मंदिर और मट्टान्चेरी सिनैगॉग की साझी दीवार है। मट्टान्चेरी का यह सिनैगॉग राष्ट्रमंडल देशों का अब तक मौजूद सबसे पुराना सिनैगॉग है।
ज्यू स्ट्रीट में इस सिनैगॉग की तरफ बढ़ते ही आपको इसकी सफेद दीवारें दिखनी शुरू हो जाती हैं। एक घंटाघर भी देखा जा सकता है जो अग्र भाग के पास आसमान में सिर उठाए खड़ा है। यह 1760 ई. एज़ेकिएल रहाबी द्वारा बनवाया गया था जो एक समृद्ध यहूदी व्यापारी थे। घंटाघर के चारों फलकों में से एक महाराजा के महल की तरफ है और उसमें मलयालम में समय दिखता है। और बाकी तीन में से एक में रोमन में समय दिखता है जो व्यापारियों के लिए था। घड़ी के बाकी के दो फलकों में से एक की लिपि हिब्रू है जबकि दूसरा खाली है।
सिनैगॉग के अंदर आकर आपकी आंखें सहज ही कांच के झाड़-फानूसों और लहरिया-पैटर्न वाले चीनी फर्श पर टिक जाती हैं। झाड़-फानूस बेल्जियम के हैं। यहां की अन्य रोचक चीजों में हैं स्क्रोल्स ऑफ द लॉ (बेलन के रूप में लपेटी जाने वाली पुस्तिका) और उपहार के रूप में मिले सोने के अनेक मुकुट और चांदी की रेलिंग वाला मंच। और कुछ विशिष्ट ऐतिहासिक चीजों में इस सिनैगॉग में सबसे पहले के ज्ञात कोच्चिन यहूदी जोसफ रब्बान द्वारा दिए गए तांबे के प्लेट जो 10वीं शताब्दी के हैं और उनपर मलबार तट के शासक द्वारा तमिल में लिखा हुआ है।
और जब आप सिनैगॉग के अंदर पहुंचते हैं तो हाथ से पेंट किए हुए 18वीं शताब्दी के सैकड़ों पोर्सलीन टाइल्स फर्श पर बिछे मिलते हैं। एक ओरिएंटल दुशाला है जो अंतिम इथियोपियाई सम्राट हेली सलेसी द्वारा भेंट किया गया था। यहां कोच्चिन में कोचंगाडी के पहले के सिनैगॉग (1344 में निर्मित) की एक पट्टिका (टैब्लेट) भी है जो इस सिनैगॉग की बाहरी दीवार पर लगी है। इस पर खुदे अभिलेख के अनुसार इस इसका संरचना का निर्माण वर्ष 5105 (हिब्रू कैलेंडर के अनुसार) में देवता की आत्मा के निवास स्थल के रूप में हुआ था।
फोर्ट कोच्चि के ज्यू स्ट्रीट पर चलते हुए आपको आज भी व्यस्त मसाला बाजार दिख जाता है जहां कभी मसालों के व्यापार में लगे बड़ी संख्या में यहूदी लोग रहते थे। इन दिनों आपको यहां कश्मीरी लोगों द्वारा चलाई जा रही कलाकृतियों की दुकानें भी दिख जाएंगी जिनमें काष्ठकला की वस्तुएं, दीपक, मसाला पात्र, सर्पाकार नौका और भारतीय विषयों पर पुस्तकें मिलती हैं। यहां बसे ज्यादातर यहूदी अब अपने वतन इजरायल लौट चुके हैं।
यहूदी सिनैगॉग के अंदर या आस-पास और ज्यू स्ट्रीट पर आपको दुनिया भर से आए हर उम्र के लोग मिल जाएंगे जो बड़े कौतुहल के साथ उन सांस्कृतिक अवशेषों का अवलोकन करते हैं जो कभी यहां की स्थानीय आबादी का अंग हुआ करते थे। और मट्टान्चेरी में यहूदी समुदाय की मौजूदगी का प्रमाण पास ही स्थित यहूदी कब्रगाह है जिसमें इस्तेमाल हुई कब्र की पत्थरों पर मलयालम और हिब्रू दोनों भाषाओं में लिखे हुए हैं।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: एरणाकुलम, सिनैगॉग से लगभग 10 कि.मी. दूरी पर हैं |
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, सिनैगॉग से लगभग 30 कि.मी. दूरी पर हैं |