कर्क्किडकम आरंभ और अंत दोनों है, अतीत पर नजर और साथ ही भविष्य के प्रयासों पर विचार। यह मलयालम कैलेंडर (केरल में प्रचलित) का आखिरी महीना है, जो जुलाई और अगस्त महीने में पड़ता है। वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे कम हो रही होती है और यह समय आयुर्वेद आधारित शारीरिक नवजीवन (रिजुवनेशन या कायाकल्प) थेरेपी के लिए आदर्श माना जाता है। इस मौसम में शाकाहारी आहार लेने का विधान है। आयुर्वेद में कर्क्किडक कंजी या औषधा कंजी नामक औषधीय गुणों वाले लपसी के सेवन का विधान किया गया है। इसमें उबले हुए अनाज और औषधीय वनस्पतियां होती हैं। नवरा चावल के साथ 12 से 24 प्रकार की जड़ी-बूटियों की मदद से इसे तैयार किया जाता है। माना जाता है कि इस समय शरीर शक्तिवर्धक तकनीकों को अपनाने के लिए अधिक तैयार रहता है। ये रोगों का निदान करते हैं और साथ ही नई बीमारियों को भी उत्पन्न होने से रोकते हैं। आयुर्वेद तेल पद्धति और वे जिनका वर्णन पंचकर्म चिकित्सा के तहत किया जाता है इस मौसम में शरीर तंत्र की सफाई के लिए अनुशंसित है।
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