स्थल: तेक्किनकाडु मैदानं
स्थान: तृश्शूर
जिला: तृश्शूर
सजे-धजे हाथियों, भव्य छतरियों और जोरदार ढोल संगीत के साथ मनाया जाने वाला यह शानदार त्योहार तृश्शूर पूरम एक अद्भुत समारोह है जिसमें केरल की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक तत्वों का सम्मिलन होता है। मलयालम महीना मेडम (अप्रैल-मई) में मनाया जाने वाला पूरम तृश्शूर के तेक्किनकाडु मैदानं में आयोजित होता है।
सभी पूरमों का जनक माना जाने वाला यह वार्षिक मंदिर महोत्सव कोच्ची के महाराजा शक्तन तंपुरान द्वारा आरंभ किया गया था जिन्होंने इस त्योहार का शुभारंभ 10 मंदिरों (पारामेक्कावु, तिरुवम्बाडि, कणिमंगलम, कारामुक्कु, लालूर, चुरक्काट्टुकरा, पनामुक्कुंपिल्ली, अय्यन्तोल, चेम्बूक्कावु, नैतलक्कावु) की सहभागिता के साथ किया था।
इस त्योहार में सुसज्जित हाथियों की शोभायात्रा निकलती है और कुडमाट्टम समारोह आयोजित किया जाता है। तेज गति से लयबद्ध तरीके से रंग-बिरंगी चमकीली छतरियों के हस्तांतरण वाला कुडमाट्टम समारोह एक अनोखा और दर्शनीय अवसर है।
एक अन्य आकर्षण है इलन्जित्तरा मेलम जिसमें पारंपरिक वाद्ययंत्रों के आकर्षक प्रस्तुतिकरण हजारों उपस्थित दर्शकों का मन मोह लेता है। 250 बेजोड़ कलाकार इस पारंपरिक वाद्यवृंद में भाग लेते हैं जिसका नेतृत्व चेण्डा कलाकार करते हैं और हजारों दर्शकों के उत्साह और आनंद में इस आयोजन की मूल आत्मा प्रतिबिंबित होती है जो चेण्डा, कुरुमकुषल, कोम्बु और इलत्तालम (केरल के पारंपरिक वाद्ययंत्र) की धुन की लय पर अपने हाथ लहराते हैं। उत्सव का समापन भव्य आतिशबाजी के साथ होता है।
यहां पहुंचने के लिए
नजदीकी रेलवे स्टेशन: तृश्शूर, लगभग एक किलो मीटर दूर |
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, तृश्शूर से लगभग 58 कि.मी. |